इकाई विधि | Unit Method - हेनरी क्लेम माॅरीसन - कनाडा (1926)
विस्तार- इकाई शब्द का सबसे पहले प्रयोग 19वीं सदी में जे.एफ. हरबर्ट ने किया।
इकाई शब्द का विश्लेषण बीसवीं सदी में 1920 में थॉमस एस रिस्क ने किया है।
थॉमस एस रिस्क - " ज्ञान के संपूर्णता को ही इकाई करते हैं।"
इकाई शब्द के आधार पर शिक्षण विधि का निर्माण 1926 में हेनरी क्लेम माॅरीसन ने किया।
हेनरी क्लेम माॅरीसन H.C. Morishan- " एक जैसी पाठ्य वस्तुओं को इस प्रकार व्यवस्थित किया जाए कि एक पाठ के शिक्षण से दूसरे पाठ के शिक्षण में सहायता उत्पन्न हो तो इस व्यवस्था को इकाई करते हैं।"
इकाई पूर्ण से अंश शिक्षण सत्र पर आधारित होती है।
इकाई का निर्माण सप्ताह के अंतिम कार्य दिवस पर आगामी सप्ताह के लिए किया जाता है।
एक इकाई में अधिकतम छ: और न्यूनतम एक दैनिक पाठ योजना शामिल हो सकती है।
एक इकाई से अधिकतम 1 सप्ताह तक 6 दिन शिक्षण कार्य किया जा सकता है अत: इकाई को साप्ताहिक योजना भी कहते हैं।
इकाई का शिक्षण दैनिक पाठ योजना के माध्यम से किया जाता है अतः दैनिक पाठ योजना को उप इकाई भी कहते हैं ।
अध्यापक सबसे पहले वार्षिक योजना, मासिक योजना, इकाई योजना, दैनिक पाठ योजना का निर्माण करते हैं।
इकाई के प्रकार-
1. पाठ्य पुस्तक पर आधारित इकाई।2. अनुभवों पर आधारित इकाई।
- प्रकरण पर आधारित इकाई - यह इकाई का सबसे सरल प्रकार है। अध्यापक सर्वाधिक इसी प्रकार की इकाई का निर्माण करते हैं, इसमें अध्यापक एक जैसी पाठ्य वस्तुओं को एक ही प्रकरण के आधार पर, एक इकाई के रूप में व्यवस्थित करके शिक्षण करता है जैसे - गद्य पद्य व्याकरण मुगल काल मिट्टी फसल आदि।
- मूल तथ्यों पर आधारित इकाई- इसमें अध्यापक विद्यार्थियों में किसी विशिष्ट भावना के विकास के लिए इकाई का निर्माण करता है । पाठ्य पुस्तक में से एक जैसी पाठ्य पुस्तकों को इकाई के रूप में व्यवस्थित करता है। जैसे- देश प्रेम की भावना, ईमानदारी, परोपकार, साहस, वीरता आदि भावनाओं का विकास हो।
- सिद्धांतों पर आधारित इकाई- यह इकाई का एक ऐसा प्रकार है जिसमें एक ही सिद्धांत नियम विधि के आधार पर एक इकाई की सभी पाठ्य वस्तुओं को पढ़ाया जाता है।
- पाठ्य पुस्तक में शामिल वैज्ञानिक एवं तकनीकी क्षेत्रों से संबंधित पाठ्य वस्तुओं को पढ़ाने के लिए इसी प्रकार की इकाई का निर्माण किया जाता है । जैसे- कंप्यूटर, दूरदर्शन, आकाशवाणी, प्रदूषण, रक्त कोशिका आदि ।
- भाषा शिक्षण में व्याकरण शिक्षण के लिए यह इकाई का सर्वश्रेष्ठ प्रकार है।
- गणित एवं विज्ञान शिक्षण में सर्वाधिक इसी प्रकार की इकाई का निर्माण किया जाता है।
- रुचि पर आधारित इकाई- जब अध्यापक अपने अनुभव के आधार पर रोचक पाठ्य वस्तुओं को इकाई के रूप में व्यवस्थित करता है तो इसे रुचि पर आधारित की इकाई कहते हैं। जैसे- कहानी, नाटक, हास्य-व्यंग्यआदि। सत्र आरंभ में इसी प्रकार की इकाई का निर्माण किया जाता है।
- आवश्यकता पर आधारित इकाई- यह इकाई का एकमात्र ऐसा प्रकार है जिसमें विद्यार्थियों की विशेष आवश्यकताओं को दृष्टिगत करते हुए अध्यापक इकाई का निर्माण करता है। जैसे अर्द्धवार्षिक, वार्षिक अथवा अन्य परीक्षाओं को ध्यान में रखकर निर्माण की गई इकाई योजना है।
- उद्देश्य पर आधारित इकाई - यह इकाई का एकमात्र अध्यापक केंद्रित प्रकार है। इसमें अध्यापक अपने कुछ विशिष्ट उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए, विद्यार्थियों से निम्न कार्य करवाने का प्रयास करता है। जैसे- सफाई व्यवस्था, वृक्षारोपण, सुलेख का विकास, पुस्तकालय एवं प्रयोगशाला का उपयोग आदि सम्मिलित है।
प्रकरण का नाम उद्देश्यों का निर्धारण मुख्य अध्यापन बिंदुओं का चयन शिक्षण प्रक्रिया शिक्षक- (1) शिक्षक क्रिया (2) छात्र क्रिया शिक्षण अधिगम सामग्री का चयन मूल्यांकन- (1) पाठ के अंतर्गत मूल्यांकन (2) पाठोपरान्त मूल्यांकन।
- मुख्य अध्यापन बिंदु- अध्यापन बिंदु का तात्पर्य दैनिक पाठ योजना से है अतः एक इकाई में अधिकतम 6 व न्यूनतम 1 अध्यापन बिंदु शामिल हो सकता है।
- पाठ्य अंतर्गत मूल्यांकन- प्रत्येक दैनिक पाठ योजना की समाप्ति पर लपेट फलक के माध्यम से जो मूल्यांकन किया जाता है उसे इकाई का पाठ्य अंतर्गत मूल्यांकन करते हैं।
- पाठोपरान्त मूल्यांकन- प्रत्येक इकाई की समाप्ति के बाद इकाई परीक्षण के माध्यम से नील-पत्र के आधार पर प्रश्न पत्र निर्मित करके जो मूल्यांकन किया जाता है उसे इकाई का पाठोपरांत मूल्यांकन करते हैं।
- खोज करना /अन्वेषण करना
- प्रस्तुतीकरण
- आत्मीकरण
- व्यवस्था
- वर्णन करना/ व्याख्या करना।
- दैनिक पाठ योजना के निर्माण में सरलता होती है ।
- सहायक सामग्री के चयन में कठिनाई नहीं होती है।
- विद्यार्थियों की रूचियों एवं आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाता है।
- बाल केंद्रित एवं मनोवैज्ञानिक विधि है।
- पाठ्यक्रम समय से समाप्त हो जाता है।
- अध्यापक उद्देश्यों की प्राप्ति सरलता से कर लेता है।
- विद्यार्थियों की शैक्षिक प्रगति का पता चलता रहता है।
- शिक्षण नियोजन की वैज्ञानिक विधि है।
- एक जैसी पाठ्य वस्तुओं को एक साथ पढ़ने का अवसर प्राप्त होता है।
- शिक्षण प्रक्रिया यंत्रवत हो जाती है।
- व्यवहारिक शिक्षण का अभाव होता है।
- पाठ्यक्रम क्रमबद्ध रूप से समाप्त नहीं हो पाता है।
- इकाई का निर्माण करना अत्यंत कठिन कार्य है।
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