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पर्यवेक्षित अध्ययन विधि/निरीक्षित अध्ययन विधि | Supervised Study Method

 पर्यवेक्षित अध्ययन विधि/निरीक्षित अध्ययन विधि | Supervised Study Method - डेजी जाॅन माॅरविल - 1971 ( अमेरिका)

विस्तार- पर्यवेक्षित अध्ययन विधि का सबसे पहले निर्माण डेजी जाॅन माॅरविल ने सन 1971 में अमेरिका में किया।

परिभाषा- डेजी जाॅन माॅरविल के अनुसार- " अध्यापक की निरीक्षण में किया गया शिक्षण ही पर्यवेक्षित अध्ययन है।"

बाइनिंग एवं बाइनिंग के अनुसार- " जब विद्यार्थी मेज पर कार्य करता है तो अध्यापक द्वारा उसके कार्यों का किया गया निरीक्षण ही पर्यवेक्षित अध्ययन है।"

इस विधि का मुख्य उद्देश्य बालक को स्वावलंबी बनाना है।

 इसमें अध्यापन-सामग्री विद्यार्थियों के रूचि के अनुसार प्रदान की जाती है ।

इस विधि में पांच प्रकार की योजनाओं का निर्माण किया जाता है ।

Supervised Study Method

  1. सम्मेलन योजना 
  2. विशिष्ट शिक्षण योजना 
  3. सामयिक की योजना 
  4. काल-विभाजन योजना 
  5. द्वि-काल विभाजन योजना
  6. कुल 90 मिनट

इन पांचों प्रकार की योजनाओं को हम विस्तार से जानेंगे।

  1.  सम्मेलन योजना- अध्यापक, सम्मेलन के माध्यम से पिछड़े बालक की समस्याओं का समाधान करते हैं।
  2.  विशिष्ट शिक्षण योजना-  इस योजना में विद्यालय के बाहर के किसी अन्य अध्यापक द्वारा अथवा विषय विशेषज्ञ द्वारा विद्यार्थियों की किसी विशिष्ट समस्या का समाधान किया जाता है। 
  3. सामयिक योजना-  यह एक विशेष प्रकार की योजना है जिसके माध्यम से माह में एक बार अथवा दो बार शिक्षण कार्य किया जाता है अतः इसे मासिक अथवा पाक्षिक योजना भी कहते हैं ।
  4. काल विभाजन योजना-  समय के सदुपयोग के लिए अथवा कम समय में अधिक कार्य संपादित करने के लिए इस योजना का निर्माण किया जाता है । इस योजना में एक ही समय में एक अध्यापक द्वारा शिक्षण और दूसरे अध्यापक द्वारा उसके शिक्षण का पर्यवेक्षण किया जाता है अर्थात कम समय में अधिक कार्य होता है।
  5. द्वि-काल विभाजन- कुल 90 मिनट [ द्वि-काल विभाजन ( 90 मिनट)] --> 1. अध्यापक क्रिया - (i)अध्यापक द्वारा दिए गए निर्देश के अनुसार 25 मिनट का अध्यापन कार्य। (ii) अध्यापक व विद्यार्थी के मध्य तर्क वितर्क करना 25 मिनट का समय। 2. विद्यार्थी क्रिया- (i) इसमें 5 मिनट का अस्त कौशल कार्य किया जाता है। (ii) इसमें 35 मिनट विद्यार्थी द्वारा शिक्षण व अध्यापक द्वारा पर्यवेक्षण किया जाता है।

पर्यवेक्षित अध्ययन विधि के गुण -
  1. विद्यार्थी में शिक्षण कौशलों का विकास हो जाता है।
  2. आत्मविश्वास में वृद्धि होती है, क्योंकि अध्यापक के निरीक्षण में कार्य होता है। 
  3. इस विधि में विद्यार्थियों की रुचि के अनुसार पाठ्य सामग्री प्रदान की जाती है।
  4.  सामाजिक अध्ययन में सर्वाधिक प्रयोग होने वाली विधि है। 
  5. विज्ञान एवं हिंदी शिक्षण की उपयोगी विधि है। 
  6. बाल केंद्रित विधि है। 
  7. मनोवैज्ञानिक विधि है। 
  8. निदानात्मक एवं उपचारात्मक शिक्षण विधि है।  
  9. सभी प्रकार के विद्यार्थियों को ध्यान में रखकर योजनाएं निर्मित की जाती है। 
  10. उच्च स्तर पर उपयोग विधि है। 
  11. विद्यार्थी में आत्मनिर्भरता का गुण विकसित हो जाता है।
  12. विद्यार्थी क्रियाशील रहते हैं।
 
पर्यवेक्षित अध्ययन विधि के दोष -
  1. विद्यार्थियों की स्वतंत्रता का हनन होता है।
  2.  प्रतिभाशाली बालकों के लिए अनुपयोगी विधि है, क्योंकि अध्यापक बार-बार हस्तक्षेप करता है। 
  3. समय बहुत अधिक लगता है। 
  4. इस विधि से प्रशिक्षण कम, व्यवसाय प्रशिक्षण अधिक प्राप्त होता है। 
  5. प्राथमिक स्तर पर अनुपयोगी विधि है। 
  6. योग्य एवं अनुभवी अध्यापक की आवश्यकता होती है।

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