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Lecture/narration/discourse method | व्याख्यान/ कथन /प्रवचन विधि

 Lecture/narration/discourse method | व्याख्यान/ कथन /प्रवचन विधि

Lecture Method
समस्त शिक्षण विधियों में यह सबसे प्राचीन विधि है। प्राचीन काल में गुरुकुल में इसी विधि के आधार पर शिक्षण कार्य किया जा रहा था।

मध्यकाल में यूरोप में सर्वाधिक प्रयोग होने वाली विधि थी। 

वर्तमान में भारत में सर्वाधिक प्रयोग होने वाली विधि है। 

इस विधि में अध्यापक पाठ्यवस्तु का कथन के माध्यम से मौखिक अभिव्यक्ति करता है।

विद्यार्थी ध्यानपूर्वक सुनते हैं, आवश्यकता पड़ने पर अथवा विद्यार्थियों का ध्यान केंद्रित करने के लिए अध्यापक बौद्ध प्रश्न करता है।

व्याख्यान विधि के गुण-

  1. समस्त शिक्षण विधियों में सबसे सरल विधि है।
  2. अध्यापक द्वारा सर्वाधिक प्रयोग की जाने वाली विधि है। 
  3. पाठ्यक्रम समय से समाप्त हो जाता है। 
  4. सबसे कम खर्चीली विधि है। 
  5. इस विधि से शिक्षण के लिए किसी विशेष स्थान, समय, परिस्थिति, यंत्र, उपकरण आदि की आवश्यकता नहीं होती है। 
  6. विद्यार्थियों के श्रवण कौशल का विकास होता है।
  7. बहुत बड़े विद्यार्थियों के समूह को भी इस विधि से पढ़ाया जा सकता है। 
  8. उच्च स्तर पर सर्वाधिक प्रयोग होने वाली विधि है।
व्याख्यान विधि के दोष-
  1. अध्यापक केंद्रीय शिक्षण विधि है।  
  2. मनोवैज्ञानिक विधि है। 
  3. विद्यार्थी की भूमिका निष्क्रिय श्रोता के रूप में रहती है। 
  4. विद्यार्थियों के श्रवण कौशल को छोड़कर अन्य किसी भी कौशल का विकास नहीं होता है। 
  5. प्राप्त ज्ञान स्थाई नहीं होता है। 
  6. प्राथमिक स्तर पर अनुपयोगी विधि है। 
  7. विद्यार्थियों की श्रवण ज्ञानेंद्रियों को छोड़कर अन्य समस्त ज्ञानेंद्रियां निष्क्रिय जाती है।

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