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Mobile Chor Ek Kahani | मोबाईल चोर एक कहानी

 Mobile Chor Ek Kahani

| मोबाईल चोर एक कहानी 

घटना तो छोटी थी लेकिन आपदा बड़ी थी। 

यह समझिए शनि की साढ़ेसाती हमारे सिर पर चढ़ी थी।

तभी सुबह-सुबह बीच बाजार में गच्चा दे गया। 

एक झपट मार मेरा मोबाइल छीन कर ले गया।

शाम को पार्क में वही मोबाइल चोर मुझे दिखा मुझे गुस्सा आया, 

अब इसे सबक सिखाता हूं। इसे पकड़ कर रख लूंगा इसके पास जाता हूं। 

तभी चोर ने मुझे देखा मुझे देख कर मुस्कुराया और एक अंगुली का इशारा करके मुझे अपने पास बुलाया।

मैं आश्चर्य पड़ा, एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी चोर, ना मुझे देखकर डरा ना घबराया। 

मैं चोर के पास गया, चोर ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और एक जबरदस्त ठहाका लगाया।

बोल अबे बुड्ढे तेरा दिल बहुत भलीगता है। रात के 3 - 3 बजे तक जागता है। 

तूने जितनी महिलाओं को चैट और मैसेज किए हैं मैंने सब पढ़ लिए हैं।

अच्छा बता रजनी आंटी कौन, रजनी का नाम सुनते ही हम हाथ जोड़ खड़े हो गए मौन। 

चोर बोलता, बुड्ढे घटिया चुटकुले, रंगीन फोटो, कैसे- कैसे एप्स भरे पडे, 

बडी रद्दी फिल्मों से भरा पड़ा है तेरा ऐप।

अब मैं तुझे मजाक तक आऊंगा और तेरा मोबाइल तेरी पत्नी और बच्चों को दिखाऊंगा ।

मैं चोर को नापने गया था चोर मुझे नाप रहा था।

 चोर निर्भीक खड़ा था मैं थरथर कांप रहा था। 

तभी चोर ने पैंतरा बदला और कहा कि अब मैं तुझे ओर खलुंगा।

बुड्ढे मेरा बैग उठा मैं तेरे घर चलूंगा।

मित्रों मेरा ही मोबाइल मुझे कल रहा था। 

मैं भारी कदमों से चोर का बैग उठाए अपने घर की ओर चल रहा था। 

तभी दिमाग में एक आइडिया आया रास्ते में पड़ेगा। 

पुलिस थाना थानेदार से है मेरा याराना वही मुझको इस मुसीबत से बचाएगा। 

आखिर बचपन का दोस्त किस दिन काम आएगा।

थाना आते ही मैंने चोर कहा सर जी थाने में चलना जरा काम से, चोर मुस्कुराकर बोला आराम से।

हटे में थानेदार साहब कुर्सी पर बैठे धूप सेक रहे थे अपनी बहादुरी के किस्से सिपाहियों पर फेंक रहे थे।

लेकिन में किस्मत का अभागा चोर को देखते ही थानेदार कुर्सी छोड़कर भागा।

थानेदार आगे-आगे, चोर पीछे पीछे। 

हम भयभीत खड़े हुए आंखें नीचे, तभी चोर वापस आया और बोला मैं तुझको बताऊंगा। 

तुझको इसकी बड़ी आस है, अबे  सुन इसका मोबाइल भी मेरे पास है।

तभी एक सिपाही कुर्सी से ले आया चोर को इज्जत के साथ बिठाया।

सर जी आप ठंडा लोगे या गर्म चोर की इज्जत देख कर मैं ठगा का ठगा था, पूरा थाना चोर की सेवा में लगा था।

मुझे देखकर दयनीय और असहाय तब मैं खड़ा था निरूपाए ।

तब मुझे देखकर चोर बोला, बेटा अब तू घर जा। आज मैं तेरे घर नहीं जाऊंगा, किसी दिन आऊंगा।

दो दिन बाद शाम को, जब मैं घर वापस आया। चोर को सोफे पर पसरा हुआ पाया।

चोर मुझे देखते ही लपक कर मुझसे हाथ मिलाया और बोला भाई मनोज बहुत दिन बाद मिले हैं और यह कह कर मुझे गले से लगाया।

मेरी पत्नी से बोला भाभी जी हम दोनों के कॉलेज के अच्छा समय ने बिताया है।

एक दुसरे के हर कोई काम आया है एक बार मनोज के पास कॉलेज की फ़ीस  देने के पैसे नहीं थे ।

तब मैंने इस 5 हजार रुपये  दिए थे ।

चोर की उदारता देख मेरे बेटे और बेटी मुस्कराएं 

मैं खड़ा हुआ अलमारी खोली और चोर को थमाए ।

मित्रों यह कार्यक्रम आज स्टेज पर आया हूँ कल फिर आऊंगा ।

इसका कारण खास है क्योंकि सर का मोबाईल मेरे पास है ।




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