He Raste Ke Musafir | हे! रास्ते के मुसाफिर
हे! रास्ते के मुसाफिर, अपने रास्ते की पहचान कर ।
तू जहां खड़ा है वह वापस लौट के नहीं आएगा।
हे! रास्ते के मुसाफिर, तू अपने रास्ते की पहचान कर।
तुम्हारी मंजिल अब बहुत दूर है, तुझे वहां तक जाना है।
तुम्हारी मंजिल अब बहुत दूर है तुझे वहां तक जाना है।।
ऐ मुसाफिर तेरे रास्ते में अनेक आएंगे रोड़े तू जरा संभल कर चल।
तुझे रोकने के लिए अपने सगे संबंधी खड़े होंगे रास्ते में।
हे! रास्ते के मुसाफिर, तू अपने रास्ते की पहचान कर।।
ऐ मुसाफिर तुझे जाना है अपनी मंजिल तक,
क्या सोचता है इन सगे संबंधियों के बारे में ।
अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए इनको तुझे छोड़ना होगा,
हे! रास्ते के मुसाफिर, तू अपने रास्ते की पहचान कर।
मंजिल है दूर बहुत तूझे संभल कर चलना होगा।
तुझे देने होगे अनेक इम्तिहान रास्ते में,
इन इम्तिहानों से घबरा कर तू पीछे मत हटना,
एक दिन मिल जाएगी सफलता तुझे इम्तिहानों से।
हे! रास्ते के मुसाफिर, तू अपने रास्ते की पहचान कर।
हे! रास्ते के मुसाफिर अपनी सफलता का जश्न इस कदर मना,
देखने तुझे आएंगे तेरे सगे संबंधी, जो तुझे रोकने आए थे रास्ते में।
अब तुझ पर गर्व करते जाएंगे रास्ते में,
हे! रास्ते के मुसाफिर, तू अपने रास्ते की पहचान कर।
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